New msme loan scheme

 नई एमएसएमई क्रेडिट गारंटी योजना: ₹100 करोड़ तक के लोन की सुविधा

New msme loan scheme



भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई क्रेडिट गारंटी योजना शुरू की है। इस नई एमएसएमई क्रेडिट गारंटी योजना के तहत, एमएसएमई को ₹100 करोड़ तक का लोन मिल सकता है। यह योजना विशेष रूप से उत्पादन और विनिर्माण क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए लाई गई है, ताकि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और अधिक बढ़ावा दिया जा सके।

योजना का नाम: "म्युचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS-MSME)"

इस योजना के तहत, नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) द्वारा बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए गए लोन पर 60% तक की गारंटी दी जाएगी। इससे छोटे और मध्यम उद्यमों को आसानी से लोन मिल सकेगा, जिससे वे नई मशीनरी और उपकरण खरीदकर अपने उत्पादन को बढ़ा सकें।


नई एमएसएमई क्रेडिट गारंटी योजना का लाभ किसे मिलेगा?

इस योजना का लाभ उठाने के लिए एमएसएमई को कुछ ज़रूरी शर्तों को पूरा करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस योजना का लाभ केवल उन्हीं कंपनियों को मिले, जो वास्तव में उत्पादन क्षेत्र में योगदान दे रही हैं।

शर्तें:

  1. मान्यता प्राप्त एमएसएमई – आवेदक का वैध उद्यम आधार (Udyam Aadhar) पंजीकरण होना चाहिए और वह सरकार द्वारा निर्धारित सूक्ष्म, लघु या मध्यम उद्यम की श्रेणी में आता हो।

  2. लोन सीमा – इस योजना के तहत अधिकतम ₹100 करोड़ तक का लोन लिया जा सकता है। हालांकि, परियोजना की कुल लागत इससे अधिक हो सकती है, लेकिन सरकार की गारंटी केवल ₹100 करोड़ तक सीमित रहेगी।

  3. मशीनरी और उपकरण पर फोकस – इस योजना के तहत प्राप्त लोन का उपयोग केवल मशीनरी और उपकरण खरीदने के लिए किया जा सकता है। परियोजना की कुल लागत का कम से कम 75% भाग मशीनरी और उपकरण पर खर्च किया जाना अनिवार्य होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वित्तीय सहायता का उपयोग उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए ही किया जा रहा है।


लोन पर ब्याज और अन्य शुल्क

  1. पहले वर्षकोई गारंटी शुल्क नहीं लगेगा, जिससे नए उद्यमियों को राहत मिलेगी और वे बिना अतिरिक्त वित्तीय दबाव के अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकेंगे।

  2. दूसरे से चौथे वर्ष तक1.5% प्रति वर्ष शुल्क देना होगा।

  3. चौथे वर्ष के बाद1% प्रति वर्ष शुल्क लिया जाएगा, ताकि व्यवसाय को लंबे समय तक वित्तीय सहायता मिलती रहे और उन पर अधिक वित्तीय बोझ न पड़े।


योजना की अवधि और लागू रहने की समय-सीमा

यह योजना चार वर्षों तक लागू रहेगी या जब तक ₹7 लाख करोड़ की गारंटी जारी नहीं हो जाती, तब तक यह सुविधा एमएसएमई को उपलब्ध कराई जाएगी।


भारत में विनिर्माण क्षेत्र को मिलेगा बढ़ावा

भारत का विनिर्माण क्षेत्र देश की जीडीपी (GDP) में 17% योगदान देता है और इससे 2.73 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। लेकिन इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या यह है कि एक नई फैक्ट्री लगाने और मशीनरी खरीदने के लिए बहुत अधिक धनराशि की जरूरत होती है

इस नई एमएसएमई क्रेडिट गारंटी योजना के माध्यम से छोटे और मध्यम उद्यमों को सस्ते और आसान लोन मिल सकेंगे, जिससे वे अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकें


‘मेक इन इंडिया’ और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chain)

विश्व की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला तेजी से बदल रही है और भारत एक नए विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है

भारत के पास –

  • कच्चा माल (Raw Materials)
  • सस्ती श्रम शक्ति (Cheap Labor)
  • तेजी से बढ़ती तकनीकी विशेषज्ञता (Growing Technical Knowledge)

मौजूद है, जो इसे विनिर्माण उद्योग के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं।


एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी क्यों जरूरी है?

  1. मध्यम उद्योगों को लोन प्राप्त करने में कठिनाई – कई मध्यम दर्जे के उद्योगों को लोन प्राप्त करने में कठिनाई होती है, क्योंकि उनके पास पर्याप्त संपत्ति या गारंटी नहीं होती, जिससे बैंक और वित्तीय संस्थान उन्हें लोन देने में हिचकिचाते हैं।

  2. बैंकों को मिलेगा सुरक्षा कवच – इस योजना के तहत बैंकों को सरकारी गारंटी मिलेगी, जिससे वे बिना किसी जोखिम के लोन प्रदान कर सकेंगे।

  3. उद्योगों को होगा लाभ – एमएसएमई आसानी से लोन लेकर नई मशीनरी खरीद सकेंगे, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और देश की औद्योगिक प्रगति को मजबूती मिलेगी


नई एमएसएमई क्रेडिट गारंटी योजना के लिए आवेदन कैसे करें?

यदि आप भी एमएसएमई सेक्टर से जुड़े हैं और इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो आप बैंकों या वित्तीय संस्थानों से संपर्क कर सकते हैं।

सरकार जल्द ही इस योजना से संबंधित ऑपरेशनल गाइडलाइंस जारी करेगी, जिसके बाद आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी।


निष्कर्ष 

भारत सरकार की यह नई क्रेडिट गारंटी योजना एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने और विनिर्माण उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम है। यदि इस योजना को सही ढंग से लागू किया जाता है, तो यह न केवल छोटे और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत को एक प्रमुख विनिर्माण हब बनाने में भी मददगार साबित होगी।


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